Thought of the Day, कलियुग life

 कलियुग life


आज जीवन तो हम जी रहे है लेकिन टूटे दर्पण की तरह जिसमे चेहरा तो दिखता है, लेकिन उस कांच को दूसरे के लिए फेक देते है जिससे उनका नुकसान हों जाये यही तो कलयुग जहा कोई अपना नही है जों अपना कहता है उसमे भी स्वार्थ छुपा है, आज मानव जानवर के समान हों चूका है जों दूसरे को हानि पहुंचकर अपने स्वार्थ को पूर्ण कर रहा है।

Thought of the Day, कलियुग
Thought of the Day, कलियुग


आज 21 वी सदी में हम जी रहे है जों आज तकनीकी पर आश्रित हों चुकी है आज नया जीवन तो आ चूका है लेकिन नये विचार, नये पोस्टिव विचार वाले मनुष्य गुम हों चुके है, आज झूठ बड़ा है सच तो लापता है।


जों  पापी है वो देवता है जों निर्दोष है वो पापी है, बेमानी से धन कमाया हुआ सफ़ेद धन बन चूका है, ईमानदारी से धन कमाया हुआ धन काला धन बन चूका है, 

मेहनत लापता है बेईमान हर जगह छाया हुआ है आज कलियुग बड़ा है, सच अपराध मेहनत दोष झूठ देवता बन चूका है।

धन्यवाद : काजल साह : स्वरचित

RK Boro

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