Simang Bodo News : Best of Luck to जमुना बोडो


GOOD LUCK TO जमुना बोडो  (Bodo Land Watch Reporter)

जमुना बोडो GOOD LUCK TO YOU FOR NEXT OLYMPIC!
असम के शोणितपुर ज़िले के बेलसिरि गांव में रेलवे स्टेशन के बाहर एक बोडो आदिवासी महिला सब्जियां बेच रही हैं. निर्माली की दो बेटियां और एक बेटा है और पति की मौत हो चुकी है.
निर्माली बोडो नाम की इस महिला की कहानी इसलिए ख़ास है, क्योंकि निर्माली की छोटी बेटी 19 साल की जमुना बोडो आज एक अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर है. गांव में बिना किसी ख़ास सुविधा या संसाधन के जमुना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई मेडल जीतकर अपना मुकाम बनाया है. उन्होंने 2013 में सर्बिया में आयोजित सेकंड नेशंस कप इंटरनेशनल सब-जूनियर गर्ल्स बॉक्सिंग टूर्नामेंट में गोल्ड जीतकर महिला बॉक्सिंग में अपनी अलग पहचान बनाई. मां बनने के बाद दिलाए मेडल. मैरीकॉम: लंदन ओलंपिक का 'एम' फैक्टर
यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप
उसके बाद जमुना 2014 में रूस में भी हुई एक प्रतियोगिता में गोल्ड के साथ चैंपियन बनीं.
साल 2015 में ताइपे में हुई यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप में भारत की तरफ से खेलते हुए 57 किलोग्राम वर्ग में जमुना ने कांस्य पदक जीता था. जमुना ने शुरुआत तो गांव में वुशु (चाईनीज़ मार्शल आर्ट्स) खेलने से की थी लेकिन बाद में उन्होंने बॉक्सिंग की ट्रेनिंग लेना शुरू किया. बीबीसी के साथ बातचीत में उन्होंने कहा, "मैं महज 10 साल की थी जब मेरे पिता का देहांत हुआ था. तब से मेरी मां ने हम तीनों भाई-बहनों को पाला हैं. गांव में कुछ बड़े लड़के वुशु खेला करते थे. पहले मैं खेल देखने के लिए जाती थी लेकिन बाद में मेरा भी मन हुआ कि मैं इस फ़ाइट को सीखूं." सऊदी औरतों में बॉक्सिंग सीखने का शौक. मेरी कॉम और सरिता देवी रियो नहीं जा पाएँगी
बॉक्सिंग की ट्रेनिंग. कुछ ही दिनों बाद ज़िला स्तर पर वुशु के एक मुकाबले में उन्होंने गोल्ड मेडल जीत लिया. वो बताती हैं, "गांव में ट्रेनिंग के लिए कोई खास सुविधा नहीं थी. इसलिए मेरे पहले वुशु कोच रहे जोनस्मीक नार्जरी और होनोक बोडो सर मुझे साल 2009 में भारतीय खेल प्राधिकरण के गुवाहाटी खेल प्रशिक्षण केंद्र में चयन के लिए ले गए और मेरा चयन हो गया. वहीं से मैंने बॉक्सिंग की ट्रेनिंग शुरू की." जमुना ने 2010 में तमिलनाडु के इरोड में आयोजित पहले सब जूनियर महिला राष्ट्रीय बॉक्सिंग चैंपियनशिप में 52 किलो के वर्ग में पहली बार गोल्ड मेडल जीता था. उसके बाद कोयंबटूर में 2011 में आयोजित दूसरे सब जूनियर महिला राष्ट्रीय बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल के साथ चैंपियन बनी.बॉक्सिंग: महिला बॉक्सर भी उतरेंगी रिंग में. ओलंपिक में महिला बॉक्सिंग
ओलंपिक खेलों में क्वॉलिफ़ाई करने का सपना
वो कहती हैं, "तीन बच्चों की मां होने के बावजूद मेरी कॉम का पंच आज भी बहुत पावरफुल हैं और उनके खेल में बला की तेजी है. अगर वो इतनी मेहनत कर सकती हैं तो मैं क्यों नहीं कर सकती.". जमुना कहती हैं, "अकसर मैं अकादमी में लड़कों के साथ बॉक्सिंग ट्रेनिंग करती हूं और फ़ाइट के दौरान मेरा लक्ष्य सामने वाले को हराने का होता है. उस समय दिमाग में यह बात बिलकुल नहीं आती कि रिंग में मेरे सामने कोई लड़का फाइट कर रहा हैं." जमुना का अगला लक्ष्य है साल 2020 में टोक्यो में होने वाले ओलंपिक खेलों में क्वॉलिफ़ाई करना. वो मेडल लाकर भारत का नाम रोशन करना चाहती हैं. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)


Captain RK Boro (Retd)

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